आगरा के थाना सिकंदरा क्षेत्र के नगला नाथू गांव में मंगलवार को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब यमुना में नहाने गईं छह किशोरियां गहरे पानी में डूब गईं और उनकी मौत हो गई। मृतकों में तीन सगी बहनें भी शामिल थीं। इस घटना ने पूरे गांव को शोक की गहरी लहर में डुबो दिया है। गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है, चूल्हे नहीं जले, लोग गम में डूबे हैं और पीड़ित परिवारों के घरों में मातम और चीख-पुकार का आलम है। मृतक बच्चियों में सुरेश चंद्र की तीन बेटियां—मुस्कान (18), दिव्या (15), और संध्या उर्फ कंचन (12)—शामिल थीं। इनके साथ ही चचेरी बहन नैना (14) पुत्री दिनेश, और रिश्तेदार शिवानी (17) पुत्री अशोक कुमार व सोनम (12) पुत्री अशोक निवासी टेढ़ी बगिया भी इस हादसे का शिकार बनीं। ये सभी एक साथ यमुना किनारे नहाने गई थीं और अचानक मुस्कान और शिवानी गहरे पानी में चली गईं। उन्हें बचाने की कोशिश में अन्य किशोरियां भी डूब गईं। उनके साथ मौजूद दीपेश (14) किसी तरह बाहर निकल सका और उसने तुरंत शोर मचाया। शोर सुनकर खेतों में काम कर रहे ग्रामीण मौके पर पहुंचे और स्थानीय युवकों ने नदी में छलांग लगाई। आधे घंटे की मशक्कत के बाद सभी छह किशोरियों को बाहर निकाला गया। पुलिस की जीप से चार किशोरियों को एसएन मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। बाकी दो किशोरियों को निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां दो घंटे की कोशिश के बावजूद उन्हें भी बचाया नहीं जा सका। मृत बच्चियों की माताएं—कांता देवी और दीपू—दहाड़ मारकर रोती रहीं। कांता देवी कहती रहीं, “हमाई चिरैयाँ उड़ गईं, अब घर में कौन बोलेगा?” दादी मीना देवी चिल्ला-चिल्ला कर रो रही थीं, “किसके लिए जियें अब?” गांव के लोगों ने परिजनों को ढांढस बंधाने की कोशिश की, लेकिन शोक की लहर इतनी गहरी थी कि पूरा गांव स्तब्ध रह गया। नगला नाथू निषाद बहुल अनुसूचित जाति का गांव है, जहां अधिकांश लोग मजदूरी करते हैं। पीड़ित परिवारों की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर है, और अब इस हादसे ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया है। घटना की सूचना मिलते ही डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी, नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल, अपर पुलिस आयुक्त रामबदन सिंह, एडीसीपी आदित्य और एसीपी विनायक भोंसले मौके पर पहुंचे। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि गर्मी के मौसम में नहाने या पिकनिक मनाने के लिए जाने वाले बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन और समाज कितने सतर्क हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि यमुना के किनारे चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं और खतरनाक स्थलों को चिन्हित कर सुरक्षित बनाने की व्यवस्था की जाए। गांव की बच्चियों की मौत से न केवल गांव बल्कि पूरे जिले में गहरा दुख है और हर कोई इस त्रासदी से स्तब्ध है।

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