काशीपुर। 15 जून से मानसून सत्र शुरू हो जाता है लेकिन इस बार उत्तराखंड में भीषण गर्मी का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस तपती धूप और लू भरी हवाओं का असर न केवल आम जनजीवन पर पड़ रहा है, बल्कि इससे व्यापारिक गतिविधियां और विशेष रूप से ठेली वाले व रिक्शा चालक भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। जनपद में पड़ रही भयंकर गर्मी के कारण लोगों का जीना मुहाल हो गया है। पंखे व कूलर भी काम नहीं कर पा रहे हैं, जिससे लोगों के पसीने भी नहीं सूख पा रहे हैं। सुबह से ही सूरज की तपिश इतनी ज्यादा थी कि लोग घरों से बाहर निकलने से कतराते रहे।दोपहर होते-होते सड़कों पर लोगों की आवाजाही भी बहुत कम हो गयी और बाजार भी सूने नजर आए। जो लोग जरूरी काम से बाहर निकले भी, वे खुद को धूप से बचाने के लिए तमाम जतन करते दिखे। सिर पर कपड़ा, आंखो पर धूप का चश्मा और हाथों में पानी की बोतलें आम नजारा बन गई हैं। गर्मी के इस प्रकोप का सबसे ज्यादा असर दैनिक मजदूरों और बाहर काम करने वाले लोगों पर पड़ रहा है। तपती धूप में काम करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। वहीं बच्चों और बुजुर्गों को भी इस गर्मी से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर 40 डिग्री सेल्सियस का यह तापमान काशीपुर समेत जनपद के व्यापारिक समुदाय और विशेष रूप से दैनिक आय पर निर्भर लोगों, जैसे ठेली वाले और ई-रिक्शा चालक व मजदूरी पेशा लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। जनपद का तापमान अधिकतम 40-2 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम 27-0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सभी को जल्द से जल्द बारिश और मौसम में बदलाव का इंतजार है ताकि इस भीषण गर्मी से थोड़ी राहत मिल सके और जीवन सामान्य हो सके। शहर के मुख्य बाजारों और गलियों में दिन के समय सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं, जिसके कारण दुकानों पर ग्राहकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य गैर-जरूरी सामानों की बिक्री में काफी कमी देखी जा रही है। दुकानदारों का कहना है कि दोपहर के समय तो ग्राहक ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं, जिससे उनकी दैनिक आय पर बुरा असर पड़ रहा है। कूलर और एसी की दुकानों पर भले ही भीड़ बढ़ गई हो, लेकिन कुल मिलाकर व्यापारिक गतिविधियां धीमी पड़ गई हैं।

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