त्योहार ही जोड़ते हैं परिवारों के दिल अतः मिलकर मनाएं: उर्वशी दत्त वाली

काशीपुर। नगर की प्रथम महिला और मेयर की धर्मपत्नी डी – बाली ग्रुप की डायरेक्टर श्रीमती उर्वशी दत्त बाली ने रक्षाबंधन के अवसर पर कहा है कि हमारे त्योहार सिर्फ मिठास और रंगों के लिए नहीं, बल्कि परिवारों के दिलों को जोड़ने के लिए होते हैं। साल भर में हर महीने कोई न कोई त्योहार आता है, ताकि बाज़ारों में रौनक बनी रहे और लोग आपस में मिलते-जुलते रहें। त्योहारों का असली मतलब ही खुशियों का आदान-प्रदान करनाऔर पूरे साल एकता व प्रेम का माहौल बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे परिवार छोटे होते जा रहे हैं, त्योहारों पर अपनों की कमी महसूस होने लगी है। “त्योहार तभी पूरे होते हैं जब हम सब मिलकर, हँसकर और प्यार से उन्हें मनाएं।” उन्होंने कहा कि “छोटी-मोटी नोकझोंक तो हर घर में होती है लेकिन उन बातों को दिल से नहीं लगना चाहिए क्योंकि यही बातें रिश्तों में गर्माहट बनाए रखती हैं। सोचिए, अगर आप किसी जंगल में तीन दिन अकेले रहें, तो न कोई बात करने वाला होगा, न हंसने हँसाने वाला, न ही तकरार करने वाला। रिश्तों की खूबसूरती इन्हीं पलों में है। हल्की-फुल्की नोकझोंक परिवार में रिश्तों को और मज़बूत करती है। अतः नोंकझोंक को दिल से ना लगाएं और त्योहारों को मिलकर मनाएं। श्रीमती बाली ने सभी से अपील की है कि दूरियां इतनी मत बढ़ाइए कि भाई-बहन या अपनो को देखना भी अच्छा न लगे। जिंदगी एक ही बार मिलती है—इसमें मिलना भी है, प्यार भी करना है, हँसी-मज़ाक और तकरार भी निभानी है।”श्रीमती बाली ने खास तौर पर बुज़ुर्ग माता-पिताओं से विनम्र अनुरोध करते हुए कहा है कि अगर परिवार में बच्चों के बीच मनमुटाव हो, तो उसमें पानी डालें, मनमुटाव को दूर करें ठंडा करें। परिवार को जोड़कर रखें। त्योहारों पर जब पूरा परिवार एक साथ बैठता है वही बुज़ुर्गों की असली रौनक है। उनकी सबसे बड़ी खुशी यही है कि वे अपने परिवार को साथ देखकर मुस्कुरा सकें। परिवार के सदस्यों को भी सोचना चाहिए कि बुढ़ापे की उम्र के इस पड़ाव पर जब हमारे बुजुर्ग कर तो कुछ सकते नहीं क्योंकि वह कुछ भी करने में असमर्थ होते हैं ऐसे में बेहतर होगा कि बस टकटकी लगाकर, अपनों को एक साथ देखकर ही खुशी मनाते रहे। यही जीवन का असली सुख है।

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संपादक : एफ यू खान

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