नेपाल में जेन-जी (Gen-Z) पीढ़ी द्वारा सरकार के खिलाफ चल रहे उग्र और देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच हालात इतने बिगड़ गए कि सीमावर्ती जिलों की जेलें भी हिंसा की चपेट में आ गईं और सैकड़ों कैदी फरार होने में सफल हो गए। भारतीय सीमा से लगे सुदूर पश्चिम प्रदेश के जिलों बैतड़ी, दार्चुला और डडेलधुरा में सबसे ज्यादा अफरातफरी मची, जहां प्रदर्शनकारियों के प्रभाव और जेलों में पहले से simmer कर रहे असंतोष के चलते कैदियों ने तोड़फोड़ और आगजनी शुरू कर दी। बैतड़ी के मुख्य जिला अधिकारी (सीडीओ) पुण्य विक्रम पौडेल के अनुसार बैतड़ी जिला कारागार में 62 कैदी बंद थे, वहीं दार्चुला जिला कारागार से 81 कैदी भाग निकले जबकि 7 कैदी जेल में ही रहे; डडेलधुरा जिला कारागार में भी इसी तरह की स्थिति की पुष्टि की गई है। सूत्रों के मुताबिक, फरार कैदियों में हत्या, चोरी, मादक पदार्थ तस्करी और अन्य गंभीर अपराधों में सजा काट रहे लोग शामिल हैं, जिनके भारत में घुसपैठ करने और छिपने की आशंका जताई जा रही है। नेपाल में हो रहे इन प्रदर्शनों की जड़ में बढ़ती बेरोजगारी, राजनीतिक अस्थिरता और सरकार विरोधी भावनाएं हैं, जिसने कैदियों को भी उकसाया और उन्हें सुरक्षा तंत्र की कमजोरी का फायदा उठाने का मौका दिया। उत्तराखंड पुलिस, एसएसबी और खुफिया एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है; सीमा पर गश्त, तलाशी और संदिग्ध व्यक्तियों की जांच तेज कर दी गई है तथा स्थानीय मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया गया है। नेपाल प्रशासन ने भारत से सहयोग और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना साझा करने की अपील की है जबकि सीमावर्ती गांवों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यह घटना न केवल नेपाल की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है बल्कि भारत के लिए भी एक गंभीर सुरक्षा चुनौती बनकर सामने आई है, क्योंकि सीमावर्ती इलाके पारंपरिक रूप से खुले और आवागमन के लिहाज से संवेदनशील रहे हैं।

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