देहरादून। राजधानी देहरादून की शान और पहचान घंटाघर एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ गया है। करोड़ों रुपये खर्च कर किए गए इसके नवीनीकरण के कुछ ही हफ्तों बाद अब न तो घड़ियां सही समय दिखा रही हैं और न ही हर घंटे बजने वाली घंटी की आवाज सुनाई दे रही है। शहर का यह ऐतिहासिक प्रतीक फिलहाल खामोश खड़ा है, जिससे स्थानीय व्यापारियों में गहरी नाराजगी है।महानगर कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ के व्यापारियों ने घंटाघर की इस स्थिति पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि यह देहरादून की पहचान और गौरव का प्रतीक है, लेकिन अब यह केवल दिखावे की इमारत बनकर रह गया है। व्यापारियों ने आरोप लगाया कि करोड़ों की लागत से हुए रिनोवेशन के बावजूद तकनीकी रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया।गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते 7 सितंबर को घंटाघर के नवनिर्मित स्वरूप का लोकार्पण किया था। इस दौरान महापौर सौरभ थपलियाल, विधायक खजान दास समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। उस समय सभी घड़ियां सही समय बता रही थीं और घंटाघर की घंटी की ध्वनि दूर-दूर तक सुनाई दे रही थी।व्यापारियों ने मांग की है कि नगर निगम और संबंधित विभाग तत्काल तकनीकी जांच कराएं और घंटाघर को फिर से उसकी पुरानी पहचान दिलाने के लिए कदम उठाएं।
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