बदरीनाथ महायोजना में अलकनंदा रिवर फ्रंट कार्य रुका, तप्त कुंड के जलस्रोत की सुरक्षा के लिए पीएमओ विशेषज्ञ जुटे अध्ययन में

गोपेश्वर। उत्तराखंड के चार धामों में प्रमुख बदरीनाथ धाम में चल रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ड्रीम परियोजना ‘बदरीनाथ महायोजना’ के अंतर्गत निर्माणाधीन अलकनंदा रिवर फ्रंट के कार्यों को फिलहाल रोक दिया गया है। यह रोक उस संवेदनशील क्षेत्र में लगाई गई है जो तप्त कुंड से लेकर ब्रह्मकपाट तीर्थ तक फैला हुआ है — यह वही इलाका है जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु स्नान कर भगवान बदरी विशाल के दर्शन करते हैं। अब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से आए विशेषज्ञों की एक विशेष टीम अलकनंदा नदी के प्राकृतिक प्रवाह, भूगर्भीय संरचना, और हाइड्रोलॉजिकल व्यवहार का विस्तृत अध्ययन कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रस्तावित निर्माण गतिविधियां नदी के मूल स्वरूप, तप्त कुंड के जल स्रोत और मंदिर क्षेत्र की संरचनात्मक स्थिरता पर किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव न डालें।रिपोर्टों के अनुसार, रिवर फ्रंट की मौजूदा कार्ययोजना में नदी के तटबंधों को सुदृढ़ करने, घाटों को आकर्षक रूप देने और तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए पैदल पथ तथा सुरक्षा दीवारों के निर्माण का प्रावधान है। किंतु हाल ही में विशेषज्ञों ने यह आशंका जताई है कि इन निर्माण कार्यों के चलते अलकनंदा के प्राकृतिक प्रवाह में बदलाव आ सकता है, जिससे तप्त कुंड के गरम पानी का स्रोत प्रभावित हो सकता है। तप्त कुंड बदरीनाथ की आध्यात्मिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है — यह वह स्थान है जहां श्रद्धालु भगवान विष्णु के दर्शन से पूर्व शुद्धिकरण के लिए स्नान करते हैं, और इसका गरम जल शैव-वैष्णव दोनों परंपराओं में पवित्र माना जाता है।पीएमओ की टीम अब अलकनंदा के प्रवाह मार्ग, जलस्तर परिवर्तन, भू-स्खलन संभावनाओं और भू-तापीय स्रोतों के संबंध का वैज्ञानिक विश्लेषण कर रही है। यह अध्ययन न केवल नदी के मौजूदा स्वरूप को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में विकसित होने वाला रिवर फ्रंट पारिस्थितिक और धार्मिक दृष्टि से पूरी तरह संतुलित रहे। इस बीच, बदरीनाथ महायोजना के अंतर्गत कार्य कर रही एजेंसियों — टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और चारधाम विकास परिषद — को सभी निर्माण गतिविधियां रोकने के निर्देश दे दिए गए हैं जब तक विशेषज्ञ समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करती।जानकारों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी स्वयं इस परियोजना की प्रगति पर लगातार नजर रख रहे हैं। बदरीनाथ महायोजना का उद्देश्य धाम को विश्वस्तरीय तीर्थ के रूप में विकसित करना है, जहां आधुनिक सुविधाएं और पारंपरिक स्थापत्य शैली का अद्भुत समन्वय हो। इस योजना के अंतर्गत मंदिर परिसर, आवासीय ढांचे, तीर्थयात्री सुविधाएं, आपदा प्रबंधन केंद्र और नदी तटों का पुनर्विकास किया जा रहा है। फिलहाल कार्य रोकने का निर्णय सरकार की उस सतर्क नीति को भी दर्शाता है, जिसके तहत विकास और पर्यावरणीय-सांस्कृतिक संरक्षण के बीच संतुलन कायम रखने पर विशेष बल दिया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों और पुरोहित समुदाय ने भी पीएमओ के इस निर्णय का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि अध्ययन रिपोर्ट के बाद योजना को और वैज्ञानिक व सुरक्षित रूप में आगे बढ़ाया जाएगा।इस प्रकार, बदरीनाथ धाम में रिवर फ्रंट कार्यों पर लगी यह रोक केवल तकनीकी निर्णय नहीं, बल्कि देवभूमि की प्राकृतिक धरोहर और धार्मिक परंपराओं की सुरक्षा के प्रति सरकार की गंभीर प्रतिबद्धता का प्रतीक है। सभी की निगाहें अब पीएमओ विशेषज्ञों की अंतिम रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिसके आधार पर बदरीनाथ महायोजना के अगले चरण की रूपरेखा तय होगी।

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संपादक : एफ यू खान

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