पुराने वाहनों पर बढ़ी फिटनेस फीस से बड़ी राहत; उत्तराखंड सरकार ने वृद्धि को 2026 तक स्थगित किया, परिवहन विभाग ने अधिसूचना जारी की

देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड सरकार ने राज्य के हजारों वाहन स्वामियों को सीधी राहत देते हुए 15 वर्ष पुराने कमर्शियल वाहनों की फिटनेस फीस में केंद्र सरकार द्वारा की गई भारी बढ़ोतरी को आगामी 21 नवंबर 2026 तक स्थगित कर दिया है। परिवहन विभाग की ओर से जारी आधिकारिक अधिसूचना, जिस पर सचिव परिवहन बृजेश कुमार संत के हस्ताक्षर हैं, राज्य सरकार के इस निर्णय को औपचारिक रूप से लागू करती है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में पुराने कमर्शियल वाहनों की फिटनेस फीस में 10 गुना तक की अभूतपूर्व वृद्धि कर दी थी, जिसके बाद ट्रांसपोर्टरों, टैक्सी–मैक्सी यूनियनों, छोटे व्यवसायियों और पहाड़ी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर आम लोगों में व्यापक असंतोष था। वाहन मालिकों का कहना था कि अचानक इतनी भारी वृद्धि उनके मासिक संचालन खर्च को सीधे कई हजार रुपये बढ़ा देती, जिससे छोटे कारोबारी गंभीर वित्तीय संकट में आ सकते थे। मुख्यमंत्री धामी ने जनता की इस वास्तविक मुश्किल को समझते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार प्रदेशवासियों को किसी भी ऐसे बोझ से तुरंत राहत देगी, जिसका असर सीधे उनकी रोजमर्रा की आय पर पड़ता है। धामी ने यह भी मानते हुए कहा कि हिमालयी राज्यों में भौगोलिक स्थितियाँ अलग होती हैं—जहाँ परिवहन पहले से महंगा है और छोटे व्यापारी कम मार्जिन पर काम करते हैं—इसलिए बिना तैयारी लागू किया गया कोई भी बड़ा शुल्क उन्हें प्रभावित करता है। सरकार ने अपने फैसले में साफ किया है कि इस स्थगन अवधि के दौरान परिवहन विभाग केंद्र की नीति, राज्य की औद्योगिक स्थिति, सड़क सुरक्षा के मानक, वाहन प्रदूषण नियंत्रण, और जनता की आर्थिक क्षमता का संयुक्त विश्लेषण करेगा और आगे के लिए संतुलित व्यवस्था तैयार करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तराखंड में व्यावसायिक वाहन बड़ी संख्या में पर्वतीय मार्गों पर चलते हैं, जहाँ नए वाहनों की खरीद हर चालक या यूनियन के लिए संभव नहीं होती और पुराने वाहनों की फिटनेस ही उनकी आजीविका का आधार है। इसलिए राज्य सरकार का तुरंत लिया गया यह निर्णय न सिर्फ परिवहन क्षेत्र बल्कि पर्यटन, माल परिवहन और पहाड़ी क्षेत्रों में सार्वजनिक यात्रा व्यवस्था को भी राहत देता है। राजनीतिक विश्लेषक इसे सरकार का संवेदनशील और परिस्थितियों को समझने वाला कदम मान रहे हैं, वहीं वाहन मालिक इसे दो वर्षों की “सांस लेने की मोहलत” बता रहे हैं, जिससे वे अगले वित्तीय चक्र में अपनी भविष्य की योजना बना सकेंगे।

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संपादक : एफ यू खान

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