लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्रम के लिए 50 लाख रुपये की अतिरिक्त सहयोग राशि देने की घोषणा की, जबकि इससे पहले उत्तराखंड सरकार आश्रम निर्माण हेतु 1 करोड़ रुपये पहले ही दे चुकी है। कार्यक्रम में उन्होंने पुष्कर को सनातन संस्कृति की अनश्वर ज्योति बताते हुए कहा कि चारधाम यात्रा का पुण्य तब पूर्ण माना जाता है जब श्रद्धालु पुष्कर सरोवर में स्नान करें, और इसी आध्यात्मिक महत्ता के कारण उनके माता-पिता ने उनका नाम ‘पुष्कर’ रखा। धार्मिक ग्रंथों में जिन पंचतीर्थों—पुष्कर, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, गया और प्रयाग—का वर्णन है, उनमें ब्रह्माजी की यज्ञस्थली पुष्कर को ‘तीर्थों का गुरु’ माना गया है, और सीएम धामी ने कहा कि यह भूमि धर्म, तप, त्याग और सद्गुणों पर चलने की प्रेरणा देने वाली है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हो रहे सांस्कृतिक पुनर्जागरण का उल्लेख करते हुए श्रीराम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल लोक, केदारनाथ–बद्रीनाथ पुनर्निर्माण जैसे कार्यों के साथ उत्तराखंड में तेजी से आगे बढ़ रहे शारदा कॉरिडोर, ऋषिकेश कॉरिडोर और दून यूनिवर्सिटी में ‘सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज’ जैसे प्रोजेक्ट्स पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने देवभूमि की सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने के लिए जबरन धर्मांतरण विरोधी कानून, लैंड जिहाद पर सख्त कार्रवाई, दंगारोधी कानून, 10 हजार एकड़ अवैध कब्जों से मुक्त कराना, मदरसा बोर्ड समाप्त करना और 250 से अधिक अवैध मदरसों को बंद करना जैसे निर्णय लागू किए हैं, साथ ही सभी विद्यालयों में सरकारी बोर्ड का पाठ्यक्रम अनिवार्य किया गया है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने प्रवासी उत्तराखंडियों से अपील की कि वे जहां भी हों, अपनी संस्कृति और परंपराओं को गर्व के साथ आगे बढ़ाएं, क्योंकि राज्य सरकार का संकल्प उत्तराखंड को देश की आध्यात्मिक राजधानी बनाना है और यह लक्ष्य तभी पूरा होगा जब हर उत्तराखंडी अपनी भूमिका निभाएगा।
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