उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट बैठक में शिक्षा विभाग से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को वापस भेज दिया गया, जो शिक्षकों के चयन वेतनमान और प्रोन्नत वेतनमान के दौरान वेतनवृद्धि की प्रक्रिया से जुड़ा था। कैबिनेट ने कहा कि प्रस्ताव में कुछ तकनीकी और प्रक्रिया संबंधी बिंदुओं को दोबारा परीक्षण की आवश्यकता है, इसलिए इसे फिलहाल स्वीकृति नहीं दी जा सकती। विभागीय प्रस्ताव में यह उल्लेख किया गया था कि चतुर्थ, पंचम और छठवें वेतनमान में शिक्षकों को निर्धारित नियमित सेवा अवधि पूरी करने पर चयन वेतनमान और प्रोन्नत वेतनमान देने की व्यवस्था पहले से लागू है। इस प्रणाली के अनुसार, शिक्षक के वेतन का निर्धारण साधारण वेतनमान से चयन या प्रोन्नत वेतनमान में जाते समय केवल संबंधित वेतन स्तर के अगले प्रक्रम के आधार पर किया जाता है, न कि किसी अतिरिक्त वेतनवृद्धि के साथ। सरकार ने 13 सितंबर 2019 के शासनादेश में भी स्पष्ट रूप से कहा था कि चयन वेतनमान या प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने के समय अलग से वेतनवृद्धि प्रदान नहीं की जाएगी। अब कैबिनेट ने इस प्रस्ताव की सभी शर्तों और वित्तीय प्रभावों की पुनः जांच करवाने का निर्णय लिया है, जिसके बाद ही इसे दोबारा कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा। सरकार का कहना है कि शिक्षकों से संबंधित वेतनमान और प्रमोशन की नीति संवेदनशील विषय है और अंतिम निर्णय लेने से पहले प्रत्येक बिंदु का विस्तृत विश्लेषण जरूरी है।
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