मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय देहरादून ने वर्ष 2003 की मतदाता सूची को ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया है, ताकि विभाग मतदाताओं के रिकॉर्ड का मिलान करते हुए यह जांच सके कि किसी व्यक्ति का नाम उस समय की वोटर लिस्ट में दर्ज था या नहीं। मतदाता अब ceo.uk.gov.in पर जाकर अपने पुराने रिकॉर्ड को खोज सकते हैं। लेकिन सूची जारी होने के साथ ही एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि आज की कई विधानसभा सीटें वर्ष 2003 में अस्तित्व में ही नहीं थीं, इसलिए नई पीढ़ी के मतदाता जब अपनी वर्तमान सीट के नाम से पुराने रिकॉर्ड तलाशेंगे, तो उन्हें निराशा हाथ लग सकती है। उदाहरण के तौर पर देहरादून की धर्मपुर और रायपुर, चमोली की थराली, पौड़ी की चौबट्टाखाल, नैनीताल की लालकुआं और भीमताल, तथा ऊधमसिंह नगर की कालाढूंगी सीटें 2003 की निर्वाचन प्रणाली में शामिल ही नहीं थीं। उस समय प्रदेश में चुनाव पुराने परिसीमन के आधार पर होते थे और मौजूदा सीटों का गठन कई वर्ष बाद, विशेष रूप से 2008 में हुए बड़े परिसीमन के बाद किया गया। इसी कारण वर्तमान मतदाता 2003 की सूची में अपनी सीट का नाम खोजते हुए भ्रमित हो सकते हैं। निर्वाचन विभाग ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी मतदाता को वर्ष 2003 का रिकॉर्ड देखना है, तो उन्हें अपनी पुरानी विधानसभा क्षेत्र की सीमाओं और नामों के आधार पर ही खोज करनी होगी, क्योंकि वर्तमान सीटों के नाम और उनकी भौगोलिक सीमाएँ उस समय लागू नहीं थीं। विभाग का कहना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता सुनिश्चित करने और पुराने रिकॉर्ड के सत्यापन के लिए जरूरी है, इसलिए मतदाताओं को सही वर्ष के परिसीमन के अनुसार ही दस्तावेज़ खंगालने चाहिए।—अगर तुम्हें चाहो तो मैं और भी लंबा, या दो पैरा वाला, या TV स्क्रिप्ट/पेपर कॉलम फॉर्मेट भी बना दूँ।
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