दहेज प्रथा के खिलाफ एक साहसिक उदाहरण स्थापित, दो जोड़े बिना दहेज के बंदे सूत्र में

काशीपुर। ग्राम ढकिया नंबर 01 में सामाजिक बदलाव दहेज प्रथा के खिलाफ एक साहसिक उदाहरण स्थापित किया गया। बेटियों को बोझ बना चुके दहेज रूपी दानव को जड़ से खत्म करने के लिए समाज सुधारक संत रामपाल महाराज ने दहेज मुक्त विवाह करवाने का बीड़ा उठाया है। इसी मुहिम के तहत दो जोड़ो ने महज 17 मिनट की गुरुवाणी के माध्यम से बिना किसी दान दहेज के आडंबर रहित शादी रचाई। जिसमें विपिन दास पुत्र रामरतन दास (बाजपुर) ने निकिता दासी पुत्री दीवान सिंह (काशीपुर) से व गोरधन दास पुत्र रामहरि दास (भरतपुर, राजस्थान) ने गुंजन दासी पुत्री रामकुंवर दास (बाजपुर) के साथ विवाह कर समाज में एक नई मिसाल कायम की है। शांतिपूर्वक तरीके से 2 घंटे के सत्संग कार्यक्रम के बाद बीती रात लगभग 12 बजे विवाह संपन्न कराया गया। इस विवाह में खास बात ये रही कि न तो इसमें ढोल बजा, न डीजे, न बैंड बाजा, न दूल्हे के सिर पर सेहरा था और न ही दुल्हन के चेहरे पर मेकअप। सिर्फ 17 मिनट की गुरुवाणी चलाई गई जिसमें वर वधु ने एक दूसरे को परमात्मा का आशीर्वाद भरा रक्षा सूत्र एक दूसरे के हाथ में बांधा और अपने गुरुदेव की प्रार्थना स्तुति करते हुए ‘बिन फेरे हम तेरे’ के नारे से जीवन भर के बंधन में प्रेम बंधन में बंध गए। 17 मिनट चलाई गई गुरुवाणी में तैंतीस करोड़ देवी देवताओं का आव्हान हुआ जिससे सभी देव देवताओं की शक्ति सहित पूर्ण परमात्मा के आशीर्वाद से दो जोड़े आपस में बंध गए। परिवार के सदस्यों सहित सभी रिश्तेदार इस अनोखे विवाह से प्रसन्न थे और उन्होंने तहे दिल से संत जी का आभार व्यक्त किया। इन दो जोड़ों ने सादगीपूर्ण तरीके से विवाह कर के सिद्ध किया कि शादी में आपसी समझ, प्रेम और सम्मान की आवश्यकता होती है न कि बाहरी आडंबरों की। आपको बता दें कि संत रामपाल महाराज की शिक्षाओं से प्रेरित होकर आज लाखो ऐसे दहेज रहित विवाह हो चुके हैं जिससे बेटी को अब बोझ नहीं बल्कि समाज में सम्मान का दर्जा दिया जा रहा है।

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संपादक : एफ यू खान

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