जागृति पब्लिक स्कूल में उत्तराखंड की समृद्ध विरासत सांस्कृतिक हरेला पर्व पर बच्चों ने दी मनमोहक प्रस्तुतियाँ

काशीपुर। उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरण प्रेम का प्रतीक पर्व हरेला को जागृति पब्लिक स्कूल में बड़े ही हर्षोल्लास, भावनात्मक जुड़ाव और शिक्षाप्रद गतिविधियों के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के नन्हे विद्यार्थियों ने पूरे जोश व उत्साह के साथ सहभागिता निभाई और पर्व की भावना को जीवंत कर दिया।कार्यक्रम की शुरुआत हरेला पर्व की सांस्कृतिक व पारंपरिक जानकारी के साथ हुई, जहाँ शिक्षकों ने सरल और रोचक ढंग से बच्चों को यह समझाया कि हरेला केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति आभार और संरक्षण का प्रतीक है।

इसके पश्चात विद्यार्थियों ने हरेला पर आधारित सुंदर-सुंदर पेंटिंग्स बनाईं, जिनमें हरे-भरे पेड़ों, पहाड़ों, वर्षा और खेती की सुंदर झलक दिखाई दी। बच्चों की कल्पनाशक्ति और रंगों का संयोजन इतना अद्भुत था कि हर चित्र अपने आप में एक संदेश दे रहा था।इसके उपरांत बच्चों ने हरेला और पर्यावरण संरक्षण पर प्रभावशाली भाषण भी प्रस्तुत किए, जिनमें उन्होंने पेड़ों की महत्ता, बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं का उल्लेख करते हुए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की अपील की। उनके शब्दों में न सिर्फ जागरूकता थी, बल्कि एक नई पीढ़ी की जिम्मेदारी की झलक भी स्पष्ट दिखाई दी।कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा वृक्षारोपण अभियान, जिसके अंतर्गत विद्यालय परिसर में बच्चों ने शिक्षकों के साथ मिलकर पौधे लगाए। बच्चों ने अपने नन्हे हाथों से गड्ढे खोदे, पौधों को मिट्टी में रोपा और उन्हें पानी देकर यह संकल्प लिया कि वे इन पौधों की नियमित देखभाल करेंगे। इस मौके पर शिक्षकों ने उन्हें समझाया कि एक-एक पौधा आने वाले कल की हरियाली और शुद्ध वायु का आधार बनता है।कार्यक्रम को सफल और सार्थक बनाने में विद्यालय की वरिष्ठ शिक्षिका बबीता पंत मैम की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। उन्होंने न केवल बच्चों को हरेला पर्व की ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यावरणीय महत्ता को रोचक ढंग से समझाया, बल्कि उनके अंदर प्रकृति के प्रति प्रेम, संवेदना और जिम्मेदारी की भावना भी विकसित की। बबीता मैम ने बच्चों से कहा –> “हरेला पर्व हमें यह सिखाता है कि हम प्रकृति से जितना लें, उससे अधिक उसे लौटाएं। हर बच्चा अगर एक पौधा लगाए और उसका पालन-पोषण करे, तो आने वाले वर्षों में हम एक हरित और सुरक्षित भविष्य की नींव रख सकते हैं।”इसी प्रकार कौशल किशोर पंत सर ने भी बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि “हरेला पर्व हमारी संस्कृति का वह आईना है जो हमें अपनी मिट्टी, खेती और पर्यावरण के साथ जोड़ता है। पेड़ लगाना केवल एक रस्म नहीं, यह जीवन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है।”पूरे आयोजन में विद्यार्थियों, शिक्षकों और स्कूल प्रशासन की सक्रिय भागीदारी और सकारात्मक ऊर्जा ने यह सिद्ध कर दिया कि जागृति पब्लिक स्कूल न सिर्फ शैक्षणिक उत्कृष्टता में अग्रणी है, बल्कि सामाजिक व पर्यावरणीय दायित्वों को निभाने में भी उदाहरण बन रहा है।

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संपादक : एफ यू खान

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