देहरादून। विदेश में पढ़ाई या नौकरी के लिए जाने वाले युवाओं में इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट (आईडीपी) बनवाने का जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है। देहरादून आरटीओ कार्यालय के आंकड़े इस बढ़ते रुझान की साफ गवाही देते हैं। पिछले दस वर्षों में यहां से 5000 से अधिक इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट जारी किए जा चुके हैं। युवाओं में विदेश यात्रा से पहले वाहन चलाने की सुविधा पाने के लिए इस परमिट की मांग तेजी से बढ़ी है।वैसे तो अधिकांश लोगों को गाड़ी चलाने का शौक होता है, लेकिन जब बात सात समंदर पार गाड़ी चलाने की हो तो दून के युवाओं की बेताबी अलग ही स्तर पर दिखाई देती है। यही वजह है कि देहरादून में इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बनवाने वालों की संख्या हर साल बढ़ रही है। केवल इस वर्ष जनवरी से जुलाई तक 342 इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट जारी किए गए हैं, जिनमें से 293 परमिट लड़कों और 49 लड़कियों को मिले हैं।आरटीओ (प्रशासन) संदीप सैनी ने जानकारी दी कि वर्तमान में भी लगभग 200 आवेदन प्रक्रियाधीन हैं, जिनके दस्तावेजों की जांच चल रही है। उन्होंने बताया कि हर साल बड़ी संख्या में युवा विदेशों में पढ़ाई या नौकरी के लिए जाते हैं और वहां निजी या किराये की गाड़ी चलाने के लिए इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बनवाना जरूरी होता है।भारत में यह परमिट भारतीय सड़क परिवहन प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है। इसके लिए आवेदक को parivahan.gov.in पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होता है और उसे संबंधित शहर के आरटीओ/एआरटीओ कार्यालय में दस्तावेज सत्यापन के लिए उपस्थित होना होता है। आवेदन के साथ स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, वीजा, और उस देश की जानकारी जहां आप जा रहे हैं, देना अनिवार्य होता है। इसके लिए फॉर्म 4ए भरकर आवश्यक दस्तावेजों की छायाप्रति और ₹1000 शुल्क जमा करना होता है।इस विषय पर एक ऐतिहासिक जानकारी भी सामने आई है कि 76 वर्ष पूर्व वर्ष 1949 में जेनेवा कन्वेंशन ऑन रोड ट्रैफिक के दौरान इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट के निर्माण पर सहमति बनी थी। उस बैठक में 150 देशों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए थे और इन सभी देशों में इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट को मान्यता दी गई थी।अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, इटली, न्यूजीलैंड, स्पेन, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, पुर्तगाल, संयुक्त अरब अमीरात आदि देश ऐसे हैं, जहां यह परमिट मान्य होता है।इसके अलावा 15 ऐसे देश भी हैं – जैसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, नार्वे, आदि – जहां कुछ समय-सीमा की शर्तों के साथ भारतीय ड्राइविंग लाइसेंस को भी मान्यता प्राप्त है। उदाहरणस्वरूप, अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और स्विट्जरलैंड में यह सीमा अधिकतम 1 वर्ष, कनाडा में 60 दिन, और ऑस्ट्रेलिया में 90 दिन है।आरटीओ ने यह भी स्पष्ट किया कि अधिकतर युवा जिनके इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बन रहे हैं, वे पढ़ाई या नौकरी के उद्देश्य से लंबे समय के लिए विदेश जाते हैं। चूंकि परमिट की वैधता अधिकतम एक वर्ष की होती है, इसलिए इसकी अवधि समाप्त होने पर भी वे विदेश में ही भारतीय दूतावास के माध्यम से नया परमिट ऑनलाइन बनवा सकते हैं।आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों में –वर्तमान ड्राइविंग लाइसेंस की छायाप्रतिपासपोर्टवीजाअंतरराष्ट्रीय यात्रा के टिकट की छायाप्रतिनिवास व आय प्रमाण पत्रआधार कार्डऔर मेडिकल प्रमाणपत्र की प्रतियां शामिल होती हैं।इसके बाद आरटीओ अधिकारी दस्तावेजों की सत्यता की जांच करके परमिट जारी करते हैं।अगर केवल पिछले ढाई वर्षों के आंकड़े देखें तो देहरादून में 1618 इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट जारी किए जा चुके हैं। इनमें 2023 में 655, 2024 में 621, और 2025 में जनवरी से जुलाई तक 342 परमिट बने हैं। इन सभी में 1369 लड़के और 249 लड़कियां शामिल हैं। वहीं, इसी अवधि में सामान्य ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वालों की संख्या 18,377 रही है, जो दर्शाता है कि इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट को लेकर युवाओं में कितना जागरूकता और उत्साह है।

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