काशीपुर। क्षेत्र के जाने माने उद्यमी मदन मोहन जिंदल ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा की नगर निगम में इस बार महापौर नहीं विकास का फरिश्ता मिला है। मैंने तो आज तक ऐसा मेयर देखा नहीं। उसके अंदर एक जुनून है। अपने शहर के लिए कुछ कर दिखाने का जज्बा है। एक बेहतरीन सोच है, और वह वास्तव में इस काशीपुर को बदलना चाहता है जिसका नाम है दीपक बाली। श्री जिंदल वैसे तो सार्वजनिक जीवन में कोई टीका टिप्पणी नहीं करते लेकिन लगता है दीपक बाली की कार्यप्रणाली ने उन्हें भी प्रभावित किया है और वह कहते हैं कि मेरे शब्दों में अतिशयोक्ति हो सकती है मगर दीपक बाली जिस तरह से शहर को नेतृत्व प्रदान कर विकास की योजनाओं को धरातल पर लाने की तैयारी कर रहे हैं उसे देखकर उनके बारे में कुछ भी कहना सूरज को रोशनी दिखाने जैसा है। दीपक बाली ने अपने कुछ ही वर्ष के पिछले और वर्तमान राजनीतिक कार्यकाल में पक्ष और विपक्ष दोनों की भूमिका दिखाकर नेताओं को एक ऐसा आईना दिखाया है जिससे उन्हें सबक सीखना चाहिए। उनकी वाणी और व्यवहार में संस्कार झलकते हैं। मेयर जैसा पद मिलने के बावजूद अहंकार तो जैसे उन्हें छूकर भी नहीं गया। एक अच्छे जनप्रतिनिधि की यह बहुत बड़ी पहचान है। उनके द्वारा 1850 करोड रुपए की लागत से काशीपुर के लिए जिन योजनाओं का प्रारूप तैयार हो रहा है उन्हें देखकर तो ऐसा लगता है जैसे हम काशीपुर के बारे में सपने में कोई बात कर रहे हों। जब यह सब योजनाएं धरातल पर आएंगी तो निसंदेह काशीपुर की दिशा और दशा दोनों बदली नजर आएंगी। सत्ता के साथ जुड़ाव कर अपने शहर को उसका लाभ देना यह बहुत बड़ी बात है और इससे बड़ा समर्पण भी नहीं हो सकता। निसंदेह दीपक बाली ने प्रदेश के युवा और यशस्वी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में काशीपुर के उत्थान का जो अध्याय शुरू किया है वह वास्तव में काबिले तारीफ है। चेहरे पर ना कोई थकान है और ना कोई सिकन, और लगातार 12 से 14 घंटे तक पब्लिक के बीच रहकर उसका दुखदर्द सुनना और मौके पर ही समस्याओं का समाधान करना उनकी शानदार कार्य प्रणाली को प्रदर्शित करता है। उन्होंने 14 वर्षों बाद रामनगर अग्रवाल सभा के जिस शानदार ढंग से चुनाव कराए उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। पूरा चुनाव पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ और जिस शांति और भाईचारे के बीच यह चुनाव संपन्न हुआ ऐसा चुनाव हमने कभी नहीं देखा। श्री जिंदल कहते हैं कि दीपक बाली की विकासपरक सोच के प्रति दूसरे नेताओं के साथ-साथ जनता को भी उनका खुले दिल से सहयोग करना चाहिए ताकि कभी जो काशीपुर राष्ट्रीय पहचान रखता था वह फिर कायम हो सके। अकेले दीपक बाली के विकास की सोच रखने से काम नहीं चलेगा जब तक जन सहयोग भी साथ ना हो। मैं तो यही कामना करता हूं कि दीपक बाली जैसा नेता हमेशा स्वस्थ कुशल एवं प्रसन्न रहे और उनकी सोच को किसी की नजर ना लगे क्योंकि दूसरे नेता जहां सोचना बंद करते हैं दीपक बाली वहां से सोचना शुरु करते हैं और कहां क्या हो रहा है उन्हें सब पता होता है।
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