उत्तराखंड में मानसून एक बार फिर सक्रिय हो गया है और पर्वतीय जिलों में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार राज्य के आठ पर्वतीय जिलों — देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली, पौड़ी, बागेश्वर, नैनीताल, चंपावत और पिथौरागढ़ — के कई इलाकों में अगले कुछ दिनों के लिए भारी से बहुत भारी बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि पर्वतीय क्षेत्रों में तेज बारिश के साथ भूस्खलन, चट्टान गिरने और सड़क मार्ग अवरुद्ध होने का खतरा बढ़ सकता है।इस समय प्रदेश के तीन राष्ट्रीय राजमार्गों सहित कुल 177 मार्ग बंद हो गए हैं, जिससे आवाजाही पूरी तरह बाधित हो रही है। कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालयों से कट गया है और स्थानीय प्रशासन लगातार सड़कें खोलने और फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के प्रयास में जुटा है। लोक निर्माण विभाग (PWD) और आपदा प्रबंधन दल ने मशीनरी और टीमों को अलर्ट मोड पर रखा है ताकि मार्ग जल्द से जल्द सुचारू किए जा सकें।मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन और मौसम के बदलते पैटर्न के कारण इस बार पहाड़ी इलाकों में बरसात का सिलसिला लंबा खिंच रहा है। आमतौर पर सितंबर के मध्य तक मानसून की रफ्तार धीमी पड़ जाती है, लेकिन इस बार 17 सितंबर तक प्रदेशभर में हल्की से मध्यम और कहीं-कहीं तेज बारिश के दौर जारी रहने की संभावना जताई गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारी बारिश के चलते नदियों के जलस्तर में अचानक वृद्धि, पहाड़ी ढलानों के खिसकने और गांवों के संपर्क मार्ग टूटने जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं।देहरादून समेत अन्य जिलों में भी बिजली चमकने और गर्जन के साथ तेज बारिश की संभावना जताई गई है। प्रशासन ने सभी जिला अधिकारियों को संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखने और राहत दलों को तैयार रखने के निर्देश दिए हैं। पुलिस, SDRF और NDRF को आपात स्थितियों में तत्काल कार्रवाई के लिए हाई अलर्ट पर रखा गया है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग को भी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं ताकि किसी आपात स्थिति में तुरंत इलाज उपलब्ध कराया जा सके।स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को भी पहाड़ी इलाकों में अनावश्यक यात्रा न करने, नदियों और जलधाराओं से दूर रहने तथा प्रशासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है। राज्य सरकार ने कहा है कि वह स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त बचाव दल और मशीनरी तैनात की जाएगी।इस बीच मैदानी इलाकों में मानसून की रफ्तार में कुछ कमी आई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश का यह दौर अभी भी तेज बना हुआ है। इससे न केवल पर्यटन और यातायात प्रभावित हुआ है बल्कि किसानों की फसलों पर भी असर पड़ रहा है। मौसम विभाग ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि अगले कुछ दिनों तक सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है, क्योंकि बारिश का यह दौर अचानक तेज हो सकता है।

संपादक : एफ यू खान
संपर्क: +91 9837215263