साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन

काशीपुर। साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन बीपी कोटनाला के सौजन्य से उनके आवास वीर भूमि मानपुर रोड में आयोजित किया गया। काव्य संध्या की अध्यक्षता राजीव गुप्ता तथा मुख्य अतिथि डॉक्टर यशपाल सिंह रावत तथा संचालन ओम शरण आर्य चंचल ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र का अनावरण माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ श्री सोमपाल प्रजापति ने मां सरस्वती की वंदना मधुर स्वर में प्रस्तुत की । तत्पश्चात साहित्य दर्पण के सभी सदस्यों, कवियों, पत्रकारों, मीडिया प्रभारी तथा सभा में उपस्थित सम्माननीय सदस्यों का बैज अलंकरण पटका एवं फूल माला से स्वागत किया गया। काव्य संध्या के आयोजन में कवियों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कवि जितेंद्र कुमार7 कटियार- लड़ सकती हूं मैं भी तुमसे, मैं दुर्गा की अवतारी हूं, ना समझो तुम अबला मुझको, मैं हिंदुस्तान की नारी हूं। कवि कैलाश चंद्र यादव- बच्चा बच्चा जवान बूढ़ा मांग रहा डिग्री क्यों, चर्चा हुआ यह सारे जहां में बात भला यह बिगड़ी क्यों। कवि डॉ- सुरेंद्र शर्मा मधुर- हिंदी गठरी ज्ञान की खोल सके तो खोल, गर चाहे कल्याण निज प्यारे हिंदी बोल। कवि सुरेंद्र भारद्वाज- चार दिन की जिंदगी, दो बीत गए, दो बिताने हैं, दुख सुख मेरे अपने हैं, किसी को क्या दिखाने हैं। कवि डॉ-यशपाल सिंह रावत- पीड़ा खटकी ना हो नजरों के पास, कैसे कर पाए कोई सुख का आभास। कवि विजय प्रकाश कुशवाहा- धूप बनाकर चांदनी को ढूंढने निकला हूं मैं, प्यास बनाकर एक नदी को चूमने निकला हूं मैं। कवि सोमपाल सिंह सोम- अब तक ठगते रहे हमें तुम झूठे आश्वासन देकर, अब तक रहे पढ़ाते हमको तुम सस्ता राशन देकर। कवि मुनेश कुमार शर्मा- प्यार करना सीऽ लो तो प्यार भी मिल जाएगा, जीत लो जंग तो फिर हार भी मिल जाएगा। कवि बी-पी- कोटनाला- काशीपुर की यह पावन धरती, पूछ रही है हम सबसे, कब मेरा कर्ज चुका ओगे। कवि वी-के- मिश्रा- जब तेरी याद सताएगी मुझे, मैं बहुत दूर निकल जाऊंगा। कवि भोला दत्त पांडे- ऐसी है जीवन की माया, झिलमिल करती हो पानी में, ज्यों चंदा की चंचल छाया। कवि ओइम शरण आर्य चंचल- इस पागल मन को समझाना, टेढ़ी खीर हुई। कवि गंगाराम विमल- धरती माता की माटी को काजल बना, अपनी आंखो में अब तो बस लीजिए। कवि शेष कुमार सितारा- आओ कविता कविता खेलें। कवि शुभम लोहनी- बनकर जो दोस्त मड़राते हैं आसपास, मैंने देखा है दुश्मनों के साथ उन्हें चलते हुए। कवि सुरेंद्र कुमार अग्रवाल- मेरी सखी तुम रहना पल साथ मेरे जिंदगी भर, धड़कनें मेरी चलती है मगर सांसों से तेरी मगर। कवि नवीन सिंह नवीन- काव्य सम्मेलन में गूंजे काशीपुर की यह पुकार, सपनों का जिला बने टूटे ना यह आसार। काव्य संध्या में जगबीर सिंह, श्रीमती निर्मला कोटनाला, श्रीमती शोभा कोटनाला आदि उपस्थित रहे।

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संपादक : एफ यू खान

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