नमाज के माध्यम से मुसलमानों ने 1400 से अधिक सालों से योग अपना रखा हैं: नदीम

काशीपुर। मुसलमानों ने 1400 से अधिक सालों से योग अपना रखा हैं। रोजाना अनिवार्य 5 नमाजाें में करते हैं विभिन्न योगासनों की स्थितियां तथा योग मुद्रायें। यह भी देखा जाता हैं कि नियमित योगासन करने या नमाज पढ़ने वाले लोग अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक स्वस्थ रहते हैं। 45 कानूनी व जागरूकता पुस्तकों के लेखक नदीम उद्दीन एडवोकेट ने बताया कि मुसलमानाें ने कहा कि योग का सम्बंध किसी एक धर्म से नहीं है। लगभग सभी धर्माे ने किसी न किसी रूप में योग को अपना रखा है। मुसलमानों ने भी 1400 साल से अधिक समय से योेग अपना रखा हैै। र्प्रत्येक मुसलमान केे लियेे पांच समय नमाज पढ़ना जरूरी हैै उसमें मुसलमान प्रतिदिन 23 बार वज्रासन करते है। रमजान में तराबीह पढ़ने पर यह 10 बार और अधिक हो जाता है। इसके अतिरिक्त नमाज में मुसलमानोें द्वारा भू नमन आसन, वज्रासन, दक्षासान, हस्तपदासन तथा सूर्य नमरस्कार सहित विभिन्न योगासनों की स्थितियां की जाती हैै। नमाज के बाद तसबीह में अंगूठेे से अंगुलियों को मिलाकर ध्यान मुद्रा, पृथ्वी मुुद्रा, वरूण मुद्रा तथा आकाश मुद्रा सहित विभिन्न योग मुद्रायें भी स्वतः हो जाती है। श्री नदीम द्वारा लिखित जागरूकता पुस्तक सेहत व खुशहाली के लिये नमाज रोजा जकात’’ के 2025 संस्करण में इसकी जानकारी देने के लिये दो विशेष अध्याय जोड़े गये हैं। इसमें ’’योगासन और नमाज’’ तथा ’’तस्बीह और योग मुद्रायें’’ शामिल है। ’’योगासन व नमाज’’ अध्याय में नमाज की स्थितियों से योगासनोें की समानता का वर्णन करते हुये योगासनों के स्वास्थ्य लाभों की जानकारी भी दी गयी। इसमें वज्रासन जो खाना पचाने, घुटनों पैरों पंजों और जांघों में होने वाले दर्द को दूर करने, सफेद कड़ों की वृद्धि, आदि के लिये उपयोगी होने की जानकारी दी गयी है। इसके अतिरिक्त भू नमन वज्रासन, पाद हस्तासन, सूर्य नमस्कार के अन्तर्गत दक्षासनव नमस्कारासन के लाभों की भी जानकारी दी गयी है। श्री नदीम द्वारा लिखित पुस्तक में शामिल ’’तस्बीह और योग मुद्रायें’’ में तस्बीह में होने वाली योग मुद्राओं में शामिल मानसिक तनाव व दिमाग के लिये उपयोगी ज्ञान मुद्रा, ”दय व कान रोगाेंं तथा हड्डियों के लिये उपयोगी आकाश मुद्रा, दुर्बलता दूर करने व शरीर में कान्ति व तेज के लिये उपयोगी पृथ्वी मुद्रा, खून को साफ करने व त्वचा के लिये उपयोगी वरूण मुद्रा तथा गठिया, सायटिका, लकवा आदि में उपयोगी वायु मुद्रा के स्वास्थ्य लाभों की जानकारी दी गयी है।

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